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जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल से नहीं मिला कोई ठोस आश्वासन



जगदंबिका पाल  को 20 सूत्री मांगपत्र सौपा लेकिन नहीं मिला  कोई ठोस  आश्वासन।

 लखनऊ। एशबाग ईदगाह लखनऊ में वक़्फ़ बदलाव बिल 2024 के सिलसिले में ज्वाइंट पर्लियामेंट्री कमेटी के चेयरमैन जगदम्बिका पाल सदस्य पर्लियामेंट के साथ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली चेयरमैन इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया और अन्य उलामा , अधिवक्ता, बुद्धजीवियों की एक अहम् सुझावी बैठक हुई।

इस बैठक में मौलाना खालिद राशीद फरंगी महली, मौलाना जाफर मसऊद नदवी, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, शेख सऊद रईस एडवोकेट, सै0 मो0 शुएैब पूर्व सी0ओ0 यू0पी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड, गुफरान अहमद, सै0 अरशद आजमी, अमीक जामियी ने अपने ख्यालात का इजहार किया और अहम् प्रस्ताव पास किये। बैठक का संचालन मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीक़ी महासचिव इस्लामिक सेन्टर आफ इण्डिया ने किया। मेंहमानों का शुक्रिया य0ूपी0 सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की सदस्य सबीहा अहमद ने अदा किया।

इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों की ओर से संयुक्त पार्लियामानी कमेटी के चेयरमैन को 20 बिन्दुओं पर आधारित एक ज्ञापन दिया। जिनमें विशेषकर ‘‘वक्फ बिलइस्तिमाल’’ को खत्म किये जाने, जरूरत से अधिक इख्तियार जिला कलेक्टर को दिये जाने, वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिमों को शामिल किये जाने इलेक्शन के बजाये नामांकन जैसे बिन्दुओं पर सख्त ऐतिराज किये गए हैं। ज्ञापन में इन बिन्दुओं को भारत के संविधान की धारा 14, 25, 26 और 29 की खुला उलंघन बताया गया है।

बैठक में शामिल होने वालों ने कहा कि वक्फ़ बदलाव बिल 2024 मुसलमानों के पक्ष में नही है। इस बिल में बहुत सी एैसी धारायें हैं जिनसे वक्फ 

जगदम्बिका पाल ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि सरकार और पूरी पार्लियामेन्ट ने हमको यह बहुत अहम् जिम्मेदारी दी है। इस सिलसिले में हमारी कमेटी तमाम अहम् मुस्लिम तन्जीमों से मुलाकात कर रही है। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रतिनिधि मण्डल के साथ भी हमारी बात चीत हुई है। उन्होने कहा कि यह मेरी खुश किस्मती है कि वक्फ जैसे अहम् मामले के सम्बन्ध में मुझ को जिम्मेदारी दी गयी है। मैं पूरी कौम को यह यकीन दिलाना चाहता हॅू कि वक्फ के साथ कोई भी नाइंसाफी नही होने दी जायेगी। इस बिल के माध्यम से अवकाफ की हिफाजत, उनकी तामीर व तरक्की, यतीमों, बेवाओं और बेरोजगारों को अधिक से अधिक फायदा पहुंचाने की कोशिश की जायेगी। उन्होने कहा कि आज मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और अन्य लोगों ने जो सुझाव और प्रस्ताव दिये हैं उनको जे पी सी के सामने रखेगे। लेकिन कोई आश्वासन नहीं दिय।

मौलाना खलिद रशीद ने कहा कि वक्फ़ की हुई किसी भी चीज का सीधे खुदा पाक से सम्बन्ध होता है। इस लिए कोई बन्दा इस का मालिक नही हो सकता है। उन्होने कहा कि इस्लामी शरीअत ने वक्फ को सिर्फ इबादत गाहों तक ही नही रखा है बल्कि उसको जरूरत मन्दों, गरीबों, रिश्तेदारों और औलाद तक फैलाया है। 

वक्फ वेलफेयर फोरम के प्रतिनिधि हसीब अख्तर  ने कहा कि  लखनऊ शहर की बेशकीमती औकाफ पर फिरंगी महल और दिगर अंजुमन के कब्जे हैं। जिसका लेखा-जोखा वकफ बोर्ड या सरकार के पास नहीं है। ऐशबाग ईदगाह एक वक्फ संपत्ति है इन  संपत्तियो पर एकाधिकार शहर के चंद अफराद  के पास है जिससे जरूरतमंद को उसका हक नहीं मिल रहा है।

मौलाना फरंगी महली ने कहा कि देश में जितनी भी वक्फ प्रापर्टीज हैं उनमें से लगभग 90 प्रतिशत मस्जिदों और कब्रिस्तानों की शक्ल में हैं जिन्हें न तो बेचा जा सकता है और न उनसे कोई आमदनी ही हो सकती है।

मौलाना सै0 जाफर मसऊद हसनी नदवी सचिव नदवतुल उलमा लखनऊ ने कहा कि हमारे बुजुर्गो ने किसी और की नही बल्कि अपनी निजी जायदाद वक्फ की ताकि इस का फायदा लोगों को हमेशा मिलता रहे और वक्फ करने वाले को मरने के बाद भी इसका सवाब हासिल होता रहे।सै

मो0 शुएैब अध्यक्ष अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ओल्ड ब्वायज़ एसोसिएशन लखनऊ ने अपनी तकरीर मेें कहा कि वक्फ़ प्रापर्टीज की संख्या को लेकर बड़े पैमाने पर गलत फहमियॉ फैलायी गयी है जबकि अगर सिर्फ इस सिलसिले में यू0पी0 सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड की मिसाल ली जाये तो यहॉ लगभए एक लाख बीस हजार औकाफ़ रजिस्टर्ड हैं। जिनमें मस्जिद 33048, कबिस्तान 63804, दरगाह 1045 मजार 4158 इमाम बाड़े कर्बला 4263 और मदरसे 2423 हैं। इनके अतिरिक्त पूरे उत्तर प्रदेश में अन्य औकाफ की संख्या 8926 है। भारत सरकार की पोरटल के अनुसार लगभग लगभग 222000 वक्फ संपत्तियां उत्तर प्रदेश में वक्फ बोर्ड में इंद्राज है।

अमीक जामियी ने कहा कि वक्फ प्रापर्टी के व्यवस्था के लिए वक्फ एक्ट पहले से ही मौजूद हैं जिसमें किसी भी बदलाव की कोई जरूरत नही है।

मो0 गुफरान ने कहा कि मस्जिद, कब्रिस्तान, दरगाह, यतीम खानों का इन्तिज़ाम वक्फ बोर्ड के जरिये इस्लामी अकीदे, हिदायत व रिवायत के अनुसार किया जाता है इसमें किसी दूसरे धर्म के मानने वाले कैसे सदस्य बनाये जा सकते हैं।

सै0 अरशद आजमी ने बैठक में कहा कि वक्फ बदलाव बिल का ड्राफ्ट पढ़ने के बाद एैसा लगता है कि सरकार यह भूल गयी है कि वक्फ प्राप्रर्टीज मुसलानों की निजी प्राप्रर्टीज हैं। यह पब्लिक प्राप्रर्टीज नही हैं और न उन्हें पब्लिक की रकम से वक्फ किया गया है। इस मामले में सरकार को यह समझना चाहिए कि वक्फ प्राप्रर्टीज के इन्तिजाम और नई वक्फ प्राप्रर्टीज की तामीर व तरक्की में उस का कंट्रौल कम से कम होना चाहिए।

इस अवसर पर दाऊद अहमद पूर्व सांसद, कलाम खान, के अलावा बड़ी संख्या में गढ़मान्य व्यक्त्यिों के साथ बुद्धजीवी भी शरीक हुए।

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