वक्फ संशोधन विधेयक 2024: मौजूदा मतदान प्रक्रिया में संशोधन:

हाल ही में भारत सरकार ने लोकसभा में “वक्फ संशोधन विधेयक 2024” पेश किया, जिसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया है। विधेयक पर सार्वजनिक टिप्पणी जारी है, लेकिन वर्तमान प्रक्रिया में कई प्रमुख चुनौतियाँ और मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लाना है, जो अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को कमजोर करने की एक खतरनाक साजिश है।
वर्तमान पद्धति की चुनौतियाँ:
जेपीसी ने सार्वजनिक प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए क्यूआर कोड जैसे डिजिटल तरीकों का विकल्प चुना है। हालाँकि, यह दृष्टिकोण कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है:
1. प्रौद्योगिकी तक पहुंच का अभाव: ग्रामीण क्षेत्रों या कम संसाधन वाले क्षेत्रों में कई लोगों के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट तक पहुंच नहीं है, जिससे वे अपनी राय व्यक्त करने में असमर्थ हैं।
2. डिजिटल साक्षरता का अभाव: बहुत से लोग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करना नहीं जानते हैं, जिसके कारण उन्हें फीडबैक देने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
3. भागीदारी का अभाव: वर्तमान प्रणाली सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं करती है, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में मुसलमानों को मताधिकार से वंचित होना पड़ सकता है।
समाधान एवं सुझाव
– डिजिटल तंत्र के साथ-साथ भौतिक रूपों, स्थानीय केंद्रों और डाक सेवाओं के माध्यम से फीडबैक संग्रह के वैकल्पिक तरीके प्रदान करें ताकि हर कोई, विशेष रूप से जिनके पास डिजिटल सुविधाओं की कमी है, वे अपनी राय व्यक्त कर सकें।
– स्थानीय संगठनों, मस्जिदों और सामुदायिक मंचों के माध्यम से फीडबैक प्रक्रिया के बारे में जनता को शिक्षित करें ताकि अधिक से अधिक लोग भाग ले सकें।
स्थानीय केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए जहां लोगों को मतदान में सुविधा और समर्थन मिल सके।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पर जनता की राय प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक व्यक्ति की आवाज सुनी जाए ताकि सुधार प्रभावी और संतुलित हों।
मौजूदा डिजिटल तंत्र के विकल्प प्रदान करके, प्रक्रिया को निष्पक्ष और समावेशी बनाकर व्यापक सार्वजनिक भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।