
नई दिल्ली (वक्फ टुडे) पुरातत्व विभाग की देखरेख में, जबकि विभाग का अपना नियमों के अनुसार किसी भी प्राचीन या ऐतिहासिक इमारत का मूल प्रारूप बदला नहीं जा सकता. विभाग का यह कदम गंभीर है
खासकर मुगल मस्जिद को लेकर निंदा की जा रही है
यह साबित करने की कोशिश की जा रही है कि यहां मस्जिद नहीं है, जबकि इस मस्जिद का मामला हाईकोर्ट में लंबित है और ये मामला कोर्ट में विचार किया जाएगा. दरअसल पिछले हफ्ते मुजफ्फर नाम का एक शख्स रिटायर सरकारी कर्मचारी कुतुब मीनार घूमने गया उन्होंने उस कुतुब मीनारा मुगल मस्जिद और उसके आसपास को देखा
कुरान की आयतों की भीतरी और बाहरी दीवारों पर लिखे पत्थरों को हटाकर
सादे पत्थर लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे विभाग का उद्देश्य क्या है
ये तो पता नहीं था, लेकिन इस आंदोलन से ये साफ हो गया है कि वो मुसलमानों की निशानियां मिटाने की साजिश कर रहे हैं इंगलैब में छपी खबर के बाद से लोगों में बेचैनी है और लोगों का कहना है कि यह ऐतिहासिक विरासत के साथ खिलवाड़ है और भारत के महान इतिहास को मिटाने की कोशिश की जा रही है जो एक गंभीर अपराध है. इसके लिए विभाग के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। दूसरी ओर, मुगल मस्जिद को लेकर हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है और कोर्ट द्वारा स्टे का आदेश दिया गया है, इसके बावजूद वहां के ऐतिहासिक पत्थर को बदल कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना की जा रही है. मस्जिद के इमाम से इस संबंध में जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि मस्जिद ढाई साल से बंद है और हमें वहां जाने की इजाजत भी नहीं है, इसलिए हमें नहीं पता कि वहां क्या हो रहा है. उन्होंने कहा कि मेरी तबीयत खराब है और मैं वहां जाने में असमर्थ हूं, हालांकि यह मस्जिद दिल्ली वक्फ बोर्ड के अधीन है और वक्फ बोर्ड के इमाम यहां करीब चालीस साल से नमाज अदा करते आ रहे हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि अब तक वक्फ बोर्ड ने कोई कार्रवाई नहीं की