महबूबा मुफ्ती ने वक्फ संशोधन विधेयक रोकने की अपील की

वक्फ टुडे
पीडीपी अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जेडी(यू) प्रमुख नीतीश कुमार और टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि वे वक्फ (संशोधन) विधेयक को रोकने में मदद करें। यह विधेयक संसद के बजट सत्र में पेश किया जा सकता है।
इससे पहले, नेशनल कांफ्रेंस के सांसद आगा रूहुल्लाह मेहदी ने भी कहा था कि वे जेडी(यू) और टीडीपी के सांसदों से मिलकर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं को लेकर अंतिम अपील करेंगे।
इसके अलावा, वक्फ वेलफेयर फोरम ने भी इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया है और इसे मुसलमानों के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर हमला बताया है।
महबूबा मुफ्ती का पत्र: धर्मनिरपेक्षता को बचाने की अपील
महबूबा मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा कि यह विधेयक भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे के खिलाफ है और महात्मा गांधी के विचारों के विपरीत है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक धर्मनिरपेक्षता को नुकसान पहुंचाएगा और देश के सांप्रदायिक सौहार्द को कमजोर करेगा।
उन्होंने यह भी लिखा कि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू हमेशा संविधान और गंगा-जमुनी तहजीब में विश्वास रखते आए हैं। इसलिए वे एनडीए के प्रमुख नेताओं के रूप में इस विधेयक को रोकने के लिए प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।
मुसलमानों को कमजोर करने की साजिश?
महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि पिछले 10 सालों से मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को प्रभावित करेगा, जबकि इन संपत्तियों का उपयोग मुसलमानों की शिक्षा, समाज सुधार और भलाई के लिए किया जाता है।
वक्फ वेलफेयर फोरम ने इस विधेयक को मुस्लिम संपत्तियों को हड़पने का प्रयास बताया है और कहा है कि सरकार वक्फ संपत्तियों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण पाना चाहती है, जो पूरी तरह से असंवैधानिक है।
महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि सरकार ने इस विधेयक को लाने से पहले वक्फ बोर्ड और मुस्लिम समुदाय से कोई चर्चा नहीं की। इसके अलावा, संयुक्त संसदीय समिति में विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया, लेकिन उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया गया।
विधेयक का असली मकसद क्या है?
महबूबा मुफ्ती का कहना है कि सरकार इसे सुधार बताकर पेश कर रही है, लेकिन इसका असली मकसद वक्फ अधिनियम को कमजोर करना है। वक्फ अधिनियम मुस्लिम धर्मार्थ और सामाजिक उद्देश्यों के लिए संपत्तियों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था, लेकिन यह संशोधन इस बुनियाद को कमजोर कर सकता है।
वक्फ वेलफेयर फोरम का कहना है कि इस विधेयक के जरिए सरकार वक्फ संपत्तियों की जब्ती और बिक्री का रास्ता साफ करना चाहती है, जिससे लाखों मुसलमानों की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सरकार को इसे पास करने से पहले मुस्लिम समुदाय और वक्फ बोर्ड से उचित परामर्श करना चाहिए और इस पर खुली चर्चा होनी चाहिए।
महबूबा मुफ्ती, वक्फ वेलफेयर फोरम और अन्य विपक्षी नेता वक्फ (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों और धर्मार्थ संपत्तियों को कमजोर कर सकता है।
उन्होंने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू से अपील की है कि वे एनडीए में रहते हुए भी धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा करें और इस विधेयक को रोकने में मदद करें।
अब देखना यह होगा कि क्या जेडी(यू) और टीडीपी इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खड़े होते हैं या नहीं।
जेपीसी रिपोर्ट: क्या पहले से तय था सबकुछ?
वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के बाद सामने आए विडियो फुटेज ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस वीडियो में समिति के सदस्य, जो अलग-अलग समाज से ताल्लुक रखते हैं, आपस में हंसते और मजाक करते नजर आ रहे हैं।
विडियो को देखकर ऐसा लगता है कि बैठक में उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया गया और सबकुछ पहले से तय था। यह इस आशंका को और मजबूत करता है कि विधेयक पर विपक्ष की आपत्तियों को सिर्फ औपचारिकता के तौर पर दर्ज किया गया था, लेकिन असली निर्णय पहले ही हो चुका था।
अगर ऐसा है, तो यह विधेयक को लोकतांत्रिक प्रक्रिया की आड़ में थोपने की कोशिश है। अब सवाल यह उठता है कि क्या समिति का गठन सिर्फ एक दिखावा था? और क्या सरकार ने पहले ही तय कर लिया था कि इसे किसी भी हाल में पास करना है?
विडियो देखने के बाद अपनी राय कमेंट में जरूर दें और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके।