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विद्युत सखियों ने स्थापित किया कीर्तिमान*, *1600 करोड़ रुपये पहुंचा कुल विद्युत बिल कलेक्शन

रोशन गांव, सशक्त नारी, विद्युत सखी है पहचान हमारी विद्युत सखियों की पहचान:सशक्त नारी काम महान

लखनऊ: 11 फरवरी 2025

उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में ग्राम्य विकास विभाग द्वारा गांव-गरीब के विकास व महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में नित नये आयाम स्थापित किए जा रहे हैं। विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जहां महिलाओं को स्वावलंबी व आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है, वहीं योजनाओं को अमलीजामा भी पहनाया जा रहा है। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी दीदियां विभिन्न क्रियाकलापो से जहां अपनी आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं ,वहीं अपने सामाजिक दायित्वो का निर्वहन करते हुए देश व प्रदेश के विकास रथ को आगे बढ़ाने में भी योगदान दे रही हैं।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (यूपीएसआरएलएम) के विद्युत सखी कार्यक्रम ने नई उपलब्धियां हासिल की है। इस कार्यक्रम से जुड़े स्वयं सहायता समूह की महिलाओं (विद्युत सखियों) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 840 करोड़ रुपये का विद्युत बिल कलेक्शन कर लिया है, जो कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक रू 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो जाने का अनुमान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 87 करोड़ रुपये, 2022-23 में 262 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 466 करोड़ रुपये विद्युत् बिल कलेक्शन किया गया। इसकी तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में अब तक विद्युत बिल कलेक्शन 840 करोड़ रुपये पहुंच गया, जो इसमें साल दर साल 120 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। योजना के प्रारंभ वर्ष 2020 से अबतक विद्युत सखियों ने विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के लिए 1,600 करोड़ रुपये का राजस्व कलेक्शन करने में सफलता पाई है।

यूपीएसआरएलएम के इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल विद्युत सखी के रूप में रोजगार देकर महिलाओं को सशक्त बनाना है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिस्कॉम की विद्युत बिल कलेक्शन क्षमता में सुधार लाना है। यूपीएसआरएलएम द्वारा यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल), आईसीआईसीआई बैंक और तकनीकी सहायता एजेंसी के तौर पर काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के साथ मिलकर चलाया जा रहा है।

राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक श्रीमती दीपा रंजन ने बताया कि चालू वर्ष में विद्युत सखियों ने कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं, इसमें 438 विद्युत सखियों ने ‘लखपति दीदी’ बनने में सफलता पाई है। इसके अलावा,इस वर्ष अब तक विद्युत् सखियों को लगभग रू 10.5 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में प्राप्त हुए है, इतना ही नहीं, विद्युत सखियों ने ओटीएस योजना के तहत दिसम्बर 2024 और जनवरी 2025 में (दो महीने में)रू 303 करोड़ रुपये का विद्युत बिल कलेक्शन किया है,इसके एवज में उन्हें कुल 3.5 करोड़ रुपये कमीशन मिले।

यूपीएसआरएलएम के संयुक्त निदेशक श्री जनमेजय शुक्ला ने बताया कि विद्युत सखी कार्यक्रम के तहत, कुल 13,088 विद्युत सखियां एक्टिवेटिड हैं व 28,427 विद्युत् सखियाँ रजिस्टर्ड हैं। हाल ही में, यूपीएसआरएलएम ने सीईईडब्ल्यू और एसआईआरडी-यूपी के सहयोग से 13500 से अधिक नई विद्युत सखियों को प्रशिक्षित किया है ,ताकि एक्टिवेटिड विद्युत् सखियों को आगे बढ़ाकर इस कार्यक्रम की प्रगति को तेज़ी से बढ़ाया जा सके। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य प्रदेश में 31000 विद्युत सखियों का कार्यबल तैयार करते हुए इस कार्यक्रम को विस्तार देना और ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ता कवरेज में सुधार लाना भी है। विद्युत् सखी कार्यक्रम ‘रोशन गांव, सशक्त नारी, विद्युत सखी है पहचान हमारी’ के लक्ष्य के साथ निरंतर आगे बढ़ रहा है और विद्युत सखियों की पहचान,सशक्त नारी काम महान के रूप में दृष्टिगोचर हो रही है

मिशन निदेशक का मानना है कि इस कार्यक्रम की सफलता से परिलक्षित हो रहा है कि उत्तर प्रदेश की महिलाएं सिर्फ विद्युत उपभोक्ताओं की मददगार ही नहीं , बल्कि सामाजिक बदलाव का वाहक बन रही हैं और ग्रामीण महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रही हैं।विद्युत सखी कार्यक्रम अपने विस्तार के साथ इस बात का एक शानदार उदाहरण बन कर सामने आ रहा है कि कैसे समावेशी नीतियां और जमीनी प्रयास सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं, कैसे हमारे प्रदेश की महिलाएं सरकार के राजस्व में योगदान दे सकती हैं और हम सभी के लिए एक न्यायसंगत और सतत भविष्य का निर्माण कर सकती हैं।

अपने कार्यो को उल्लेखनीय व उत्कृष्ट श्रेणी में लाकर कार्य करने वाली कई विद्युत सखियों ने

अपना लोन चुकाने,बच्चों को अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने में कामयाबी हासिल की है और अपने परिवार को एक बेहतर जिंदगी देने में सफल रही। विद्युत सखियों का यह काम आर्थिक स्वतंत्रता और सम्मान लेकर आया है, जिससे वह अपने परिवार को संभालने के साथ-साथ समाज में अपनी गरिमापूर्ण पहचान बना रही हैं।

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