
दिल्ली: वक़्फ़ वेलफेयर फोरम
इस कोशिश की मुज़मत करती है और फोरम के तर्जुमा मुफ्ती अब्दुल गफ्फार ने अपने बयान में कहा:
“ये एक शर्मनाक और नामंज़ूर हरकत है। अमारत-ए-शर’इया सिर्फ़ एक तंज़ीम नहीं बल्कि मुसलमानों की तहज़ीबी और मज़हबी पहचान का अज़ीम हिस्सा है। इस पर किसी भी तरह का सरकारी क़ब्ज़ा या दख़लअंदाज़ी हरगिज़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हम मांग करते हैं कि दीनी इदारों की हिफ़ाज़त के लिए फ़ौरन क़दम उठाए जाएँ और इस ग़द्दारी में शामिल लोगों का सख़्त मुहासबा किया जाए।”
फोरम ने आगे कहा कि अगर इस मामले पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो ये दूसरे और क़ौमी इदारों के लिए भी ख़तरे की घंटी साबित होगा। मुसलमानों को चाहिए कि वे होशियार रहें, अपने इदारों की हिफ़ाज़त के लिए आगे आएँ और उन लोगों को बेनक़ाब करें जो चंद फ़ायदों के लिए क़ौम की बुनियाद को कमज़ोर करने पर तुले हैं।
अब जागने का वक़्त आ गया है! अगर आज चुप रहे तो कल हमारे और भी मज़हबी इदारे इन साज़िशों का शिकार हो जाएँगे। अमारत-ए-शर’इया पर किसी भी तरह की ज़बरदस्ती नामंज़ूर है और हमें हर हाल में इसकी आज़ादी का बचाव करना होगा।