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उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियां के रजिस्ट्रेशन में होने वाली मुश्किलें और चुनौतिया:

उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियां के रजिस्ट्रेशन में होने वाली मुश्किलात और चुनौतियां :

उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियां के रजिस्ट्रेशन में होने पर मुश्किलात और चुनौतियां :

सुन्नी एवं शिया वक्फ बोर्ड में 80% और 60% वक्फ बाय यूजर संपत्तियां दर्ज हैं ।

दोनों वक्फ बोर्ड में 50 % से 60 % वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली नियुक्त नहीं है।

फोरम ने केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से समन्वय करके रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को आसान बनाए जाने की पहल की।

वक्फ टूडे: जावेद अहमद, संपादक

लखनऊ: वक्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 के अंतर्गत की जाने वाली कार्यवाही ( रजिस्ट्रेशन) एक कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है ।
उक्त अधिनियम 2025 के खिलाफ दायर 73 रीट याचिकाओं में संयुक्त रूप से माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए निर्णय को सुरक्षित कर लिया है । ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड मुख्य पेटीशनर के तौर पर “उम्मीद” पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन न करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में एक रीट दाखिल किया । जिसमें 22 अगस्त 2025 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्टे देने से इनकार करते हुए । सरकार को निर्देश दिया की उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू रखी जाए।
इस बीच केंद्र सरकार द्वारा उक्त अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए एक “उम्मीद पोर्टल” लॉन्च किया गया है ।
अधिनियम 2025 के प्रावधानों के अनुसार संबंधित वक्फ बोर्ड तथा अवकाफ से संबंधित मुतवालियों द्वारा पोर्टल पर डिटेल रजिस्ट्रेशन किया जाना है ।

उक्त पोर्टल पर जरूरी सूचनाए अपलोड किए जाने के संबंध में वक्फ बोर्ड अथवा संबंधित मुत् व्वली का संपूर्ण उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है।
इस कार्यवाही में केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों का कानूनी उत्तरदायित्व नहीं है।

गौरतलब है कि उक्त पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन के लिए तय शुदा वक्त में लगभग तीन माह का वक्त बीत चुका है ।
बाकी बचे तीन माह के भीतर समस्त वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रीकरण कराया जाना सुनिश्चित करना है।
जो काम दर पेश है। उसमे वक्फ के हक में फैसला “आने या ना आने” दोनों हालत में पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही जरूरी है।

अधिनियम में निर्धारित समय खत्म हो जाने के बाद केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार को अवधि बढ़ाने की अख्तियार हासिल नहीं है अगर वक्फ रजिस्ट्रेशन में बोर्ड या मुतवल्ली नाकाम हो जाते है तो मुकर्रर वक्त को बढ़ाने या छूट देने के लिए वक्फ ट्रिब्यूनल और न्यायालय को जाना होगा । जहां संतोषजनक आधार न होने की स्थिति में कोई राहत मिलने की संभावना कम ही है ।

लेहाजा जो समय अभी है  ऐसे वक्त में रजिस्ट्रेशन के लिए जद्दो जेहद करना होगा ।

उत्तर प्रदेश शिया  तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड की तथ्यात्मक आंकड़े कुछ बयां कर रहे  है।

उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड में लगभग 103695 संपत्तियां सर्वे  कमिश्नर द्वारा रजिस्टर्ड है वक्फ बाय यूजर के कैटेगरी में आती है, जिनकी  कुल तादाद का  80% है जबकि सुन्नी बोर्ड में 60% मुतव्वली नियुक्त नहीं है ।
इसी तरह उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड में सर्वे  द्वारा 60% वक्फ़ संपत्तियां इंद्राज है और वही 50% मुतवल्ली नियुक्त नहीं है।

इन मुश्किल हालत में राजस्व, अल्पसंख्यक तथा वकफ बोर्ड विभागों के आपसी ताल मेल से रजिस्ट्रेशन मुमकिन हो सकता है। चुकि “उम्मीद”  पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की कारगुजारी बहुत ही नाजुक दौर में है।  रजिस्ट्रेशन नाकाम होने पर, जो वक्फ संपत्तिया दर्ज होने से छूट जाएगी वह संपत्तियां  वक्फ की श्रेणी में नहीं मानी जाएगी  । ये वक्फ संपत्तियां सरकार  के पास चली जाएंगी या उन पर गैर कानूनी तौर पर काबिज लोगों की मिल्कियत हो जाएंगे।

वक्फ वेलफेयर फोरम , अन्य सामाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियो, विधि के जानकारो के पारस्परिक सहयोग से कुशललतापूरख  संपन्न कराए जाने का प्रयास किया जा रहा है ।

फोरम द्वारा अपने अनुभवो से अल्पसंख्यक कल्याण विभाग तथा वक्फ बोर्ड को अवगत कराया गया है कि रजिस्ट्रेशन को कामयाब बनाने के लिए फोरम मुस्तैद रहेगा ।
इस संबंध में फोरम ने अपने संगठन की तरफ से राज्य मुख्यालय , मंडलवार जिलेवार एवं तहसील लेवल पर समिति बनाकर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए मुतव्लियों को हर मुमकिन मदद किया जाएगा।

मजीद जानकारी के लिए फोरम के अधिकारी से संपर्क करे।

वॉट्सएप नंबर 7054337542, waqfwwelfare@gmail.com

 

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