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अलीगढ़: वक्फ नंबर 63 “शाह जमाल” 256 बीघा रकबा , शहर में फैली हुई बेशकीमती जमीन

वक्फ टुडे :

अलीगढ़। वक्फ नंबर 63 (शाह जमाल) खसरा नंबर 2516, 2521 और 2540 का रकबा 256 बीघा है, जिसका मौजूदा एरिया 100 बीघा और 156 बीघा जमीन खुद बोर्ड को मालूम नहीं किस हालत में है। यह वक्फ बोर्ड  में इंद्राज है। ईदगाह(01), कब्रिस्तान (13), मस्जिद(15), खानकाह(15) , मदरसा (24) , दरगाह (38) और हुजरा(28) ,मकान (180), दुकान(163) और तालाब (03) शामिल हैं।

वक्फ कमेटी के सचिव जनाब मोइनुद्दीन के मुताबिक़ पिछले आठ सालों में कब्रिस्तान, दरगाह और खाली पड़ी ज़मीनों पर मिट्टी भरवाना, बाउंड्री वॉल और मरम्मत के जैसेअहम काम किए गए। सबसे अहम बात यह है जो आवाम के हक में किए अहम काम है ।

पहले कब्रिस्तान में दफनाने के लिए आवाम से 1000 से 5500 रुपये लिए जाते थे, जबकि 2018 से सिर्फ़ 800 रुपये में दफनाने के लिए जाते है। कमेटी का यह फ़ैसला काबिले तारीफ़ है। जैसे दिल्ली , लखनऊ और मुंबई जैसे बड़े शहरों में दफन के लिए रु 5000 से 15.0 लाख तक  चार्ज किए जाते है।

गौरतलब है कि कब्रिस्तान की ज्यादा तर जमीन वक्फ या सरकार के तरफ से फ्री है तो फिर इतना बड़ा सिंडिकेट्स कैसे चल रहा है ।

जिस तरफ निगाह उठाए उस तरफ मिल्लत का हाल बेहाल है।

किसी भी वक्फ कमेटी , अंजुमन या दरगाह के काम के तौर तरीके पर अवमुनुनास के हक में नहीं करती है। मिल्लत पे मुसीबत बन कर कहर ढा रहे है। जबकि ऐसे हालात में वक्फ नंबर 63 अलीगढ के कमेटी अच्छा काम कर रही है ।

सचिव मोइनुद्दीन साहब का इरादा वक्फ नंबर 63 पर फैली हुई ज़मीन पर रिफाई काम जैसे स्कूल, स्किल सेंटर और लाइब्रेरी बनाने का इरादा है।

वक्फ टुडे से खास बातचीत में उन्होंने मौजूदा चैलेंज का भी ज़िक्र करते हुए गैर कानूनी कब्जा धारी को खाली करने के लिए वक्फ बोर्ड और शासन को बार-बार शिकायत करने पर कोई कार्रवाई नहीं होती है ।

वक्फ बोर्ड के इस रवैयै से 200 दुकान और 2000 से ज्यादा मकान बनाकर लोग रहते हैं जिस से वक्फ का बहुत बड़ा नुकसान है यह लोग ना तो किराएदार हैं ना किसी तरह का लीज एग्रीमेंट ऐसे मामलों में वक्फ बोर्ड की लापरवाही साफ नजर आती है ।

आगे उन्होंने वक्फ वेल्फ़ेयर फ़ोरम के साथ मिलकर उम्मीद पोर्टल पर इंद्राज के लिए साथ देने की बात कही। उन्होंने बताया कि अलीगढ़ ज़िले में भी कमेटी , फोरम को साथ देने की तैयार है।

“वक्फ टुडे” ऐसे वक्फ कमेटी को बेहतर काम को आवाम के बीच पेश करना चाहती है जो दूसरे के लिए एक नजीर बन सके।

दरगाह शमशुल आरफीन शाहजमाल कब्रिस्तान

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