कैराना में कलस्यान खाप के संस्थापक चौधरी बाबा काल्सा गुर्जर समुदाय के बेहद शक्तिशाली चौधरी थे जिनका ठिकाना कैराना से थोड़ी दूर स्थित पंजीठ गांव था।कैराना के पंजीठ गांव के इसी खाप समुदाय के एक व्यक्ति ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया और थोड़ी दूर स्थित जंघेड़ी गांव में आकर बस गये। जबकि उनके भाई हिंदू ही रहे और काल्स्यान खाप को संभालते रहे। यहीं से दो परिवार दो धर्म के साथ आगे बढ़ते रहे जो आज जंघेड़ी गांव से चौधरी मुनव्वर हसन और उनकी बेटी इकरा हसन हुए तो दूसरे पंजीठ गांव से भाजपा के पूर्व सांसद हुकुम सिंह और उनकी बेटी मृगांका सिंह ।
हालांकि सन 1900 तक अपने बेटे बेटी की शादियां खाप में बिना धर्म देखे हुआ करती थीं और जब बाबा काल्सा के बाद चौधरी उजाला सिंह कलस्यान खाप के चौधरी बने तो उन्होंने अपनी बेटी की शादी बुंदू सिंह उर्फ फैय्याज़ हसन के साथ कर दी। जंघेड़ी गांव में इस शादी से सन 1930 पैदा हुए चौधरी अख़्तर हसन जो मौजूदा सांसद इकरा हसन के दादा थे। अख्तर हसन का परिवार बाद में कैराना के मोहल्ला “आल दरम्यान” में आकर बस गया और 1969 में उन्होंने राजनीति में पैर रखा तो वर्ष 1970 में उन्हें मुस्लिम गुर्जर खाप का चौधरी बनाया गया। अख्तर हसन वर्ष 1971 एवं 1973 में दो बार नगरपालिका के चेयरमैन चुने गए।
इसके बाद चौधरी अख्तर हसन कैराना के एक प्रमुख राजनीतिक नेता हुए और 1984 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर बसपा नेत्री मायावती को हराकर कैराना लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। उधर मृगांका सिंह के पिता स्वर्गीय हुकुम सिंह दो भाई थे। उनके बड़े भाई मुख्तार सिंह के बेटे रामपाल सिंह इस समय कलस्यान खाप के चौधरी हैं। इसके पूर्व हुकुम सिंह के पिता मानसिंह और हुकुम सिंह के दादा नंदा सिंह कलस्यान खाप की विरासत को संभालते रहे हैं। हुकूम सिंह और अख्तर हसन के बीच एक वंश एक खाप के बावजूद राजनीतिक अदावत चलती रही और कैराना की राजनीति चबूतरा और चौपाल से शुरू हो गई। बाबू हुकुम सिंह कलस्यान “चौपाल” के मुखिया तो हसन परिवार का “चबूतरा” , इन दो जगहों पर ही राजनीति के अधिकतर फैसले होते रहे हैं। कोई भी बड़ी बैठक या बड़ा निर्णय लेना हो तो समाज के लोगों को बाबू हुकुम सिंह की ओर से चौपाल तो हसन परिवार की ओर से चबूतरे पर बुलाया जाता रहा है। सुबह-शाम चबूतरा-चौपाल पर समाज के लोगों का आना-जाना भी लगा रहता है। और हुकुम सिंह ने 1974 में पहली बार कैराना विधानसभा सीट से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, वह 1980, 1989, और 1991 में भी कैराना विधानसभा सीट से विधायक चुने गए और 1996 में हुकुम सिंह ने कैराना लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की , 1998 में वह दोबारा कैराना से सांसद चुने गए। इसके बाद 2002, 2007, और 2012 में कैराना विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। तो हसन परिवार में अख्तर हसन की विरासत संभाली उनके बेटे चौधरी मुनव्वर हसन ने जो सबसे कम उम्र के सांसद बने। मुनव्वर हसन भारत के चारों प्रमुख सदनों लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, और विधान परिषद के सदस्य बनने वाले पहले राजनेता थे, जिसके लिए उनका नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। दुर्घटना में उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी तबस्सुम हसन दो बार सांसद बनीं। एक वंश और एक खाप के दो परिवारों में आमने-सामने राजनैतिक प्रतिद्वंतता जो अख्तर हसन , मुनव्वर हसन और हुकुम सिंह के बीच चली तो आज तक उनके बच्चों में भी चल रही है ।
2012 और 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन ने हुकूम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को हराया..और जब भी इन दोनों परिवारों के बीच चुनाव हुआ ज्यादातर जीत हसन परिवार की हुई और हिन्दू या मुस्लिम सभी गुर्जर हसन परिवार के साथ खड़े रहे हैं।
इसके बाद जो हुआ वह एक लड़की के हिम्मत और ताकत का उदाहरण है, 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी और नाहिद हसन को गैंगेस्टर के अंतर्गत गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया गया , बाप नहीं हैं , भाई जेल में और बूढ़ी मां अकेली.. सामने योगी आदित्यनाथ की सत्ता और ताकतवर हुकूम सिंह का खानदान। नाहिद हसन की छोटी बहन इकरा हसन अपने परिवार को संभालने लंदन से आईं और चुनाव प्रचार का जिम्मा उठाया और रात दिन एक करके जेल में बंद अपने भाई नाहिद हसन को 2022 का विधानसभा चुनाव जिता दिया और अपनी लोकप्रियता के बल पर 2024 में खुद सांसद बनीं। वही सांसद इकरा हसन सोशल मीडिया पर सबसे अधिक ट्रोल की जाने वाली सांसद हैं, क्यों हैं? क्योंकि वह एक महिला हैं। पुरुष समाज अपने घर के बाहर की महिलाओं को ऐसे ही देखता है नहीं तो इकरा हसन का भाई विधायक नाहिद हसन तो अभी तक कुंवारे हैं और इकरा हसन से ब्याह करने की बत्तीमीज़ी करने वाले अपनी बहन बेटी का रिश्ता नाहिद हसन को भेज रहे होते। दरअसल हमारा पुरुष समाज ऐसा ही है , सोचिए कि देश की सबसे बड़ी पंचायत की 541 सबसे ताकतवर लोगों में से एक सांसद इकरा हसन के प्रति पुरुष समाज की ऐसी सोच है तो आम लड़कियों के बारे में क्या सोच होगी और यही पुरुष समाज आफिस में, बाज़ार में या अन्य सार्वजनिक जगहों पर मौजूद आम लड़कियों के बारे में क्या सोचता होगा। इकरा हसन को लगातार उसके लड़की होने की वजह से ट्रोल किया जा रहा है, कोई उसकी फोटो किसी के साथ जोड़ कर रील बना रहा है और बेस्ट जोड़ी बता रहा है तो कोई किसी के साथ निकाह की मुबारकबाद दे रहा है तो कोई उसके साथ अश्लील और आपत्तिजनक AI से डीपफेक वीडियो बना रहा है तो कोई उसके साथ निकाह का प्रस्ताव दे रहा है।
पिछले एक साल से जब से वह सांसद बनी है अपने लड़की होने के वजूद के कारण पुरुष समाज की ललचाती आंखों और मानसिक सठियाएपन की शिकार है। नहीं तो मरहूम मुनव्वर हसन के घर में रिश्ता ही करना है तो नाहिद हसन भी उसी घर में मौजूद हैं और वह तो 4-4 भी कर सकते हैं… फिर चाहे कोई ठाकुर हो या कोई नूह के नाबालिग लड़के या किसी के साथ उसकी रील बनाते लोग। कितनी शर्म की बात है कि वह इकरा हसन इस सबका सामना कर रही है जिसके सर से पल्लू हटता शायद ही किसी ने देखा हो । दरअसल जबसे मानव जीवन है पुरुष समाज का चरित्र ऐसा ही रहा है , और यही चरित्र जब आगे बढ़ता है तो परिणाम स्वरूप बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं।इसीलिए महिलाएं हर जगह असुरक्षित होती हैं…और जब इकरा हसन के साथ ऐसा हो सकता है तो किसी और के साथ होने की संभावना तो और होती है।
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