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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उत्तर प्रदेश में 3 अगस्त को लखनऊ में होगी इंडोर मीटिंग, वक्फ आंदोलन का रोडमैप तैयार किया जाएगा

लखनऊ : मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, आखिरकार यूपी के मुसलमानों की नज़र में आ ही गया है।

बोर्ड पिछले कई महीनों से औक़ाफ़ की हिफ़ाज़त के लिए मुहिम चला रहा है, लेकिन उसने जानबूझकर देश के सबसे बड़े राज्य, जहाँ कमोबेश सबसे ज़्यादा औक़ाफ़ हैं, की अनदेखी की है।एक लाख चौबीस हजार है। इस बोर्ड के नेतृत्व को दूसरे राज्यों में सक्रिय होने का मौका मिला। इसमें एक सुरक्षा भी थी।

बोर्ड के प्रवक्ता और तहफ्फुज औकाफ अभियान समिति के प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संयोजक हैं।

जब वक्फ आंदोलन के प्रदेश संयोजक मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली किसी भी तरह से आंदोलन शुरू करने या कोई कार्यक्रम आयोजित करने को तैयार नहीं हैं, तो बोर्ड को यह काम सीधे अपने हाथों में लेना पड़ रहा है।

हालांकि बोर्ड पर मौलाना फिरंगी महली की जगह किसी कामकाजी व्यक्ति को संयोजक बनाने का दबाव है, लेकिन बोर्ड का सम्मानित नेतृत्व इस नाजुक मोड़ पर कोई भ्रम पैदा नहीं करना चाहता।

कल की बैठक में प्रमुख राष्ट्रीय, धार्मिक, नेताओं और बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया गया है। निमंत्रण के अनुसार, ‘बैठक में, बोर्ड के रोडमैप पर काम करने के लिए लखनऊ में रहने वाले महत्वपूर्ण धार्मिक और राष्ट्रीय नेताओं और बुद्धिजीवियों के साथ एक बैठक की जानी कियाबोजना है इस पर विचार किया जाना चाहिए, एक रोडमैप तैयार करके और साथ मिलकर काम करना चाहिए। इस बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के सचिव मौलाना बिलाल हसनी करेंगे।मौलाना नदवा के नाज़िम हैं। ऐसा कहा जाता है कि मौलाना दूरदर्शिता और सुविधा के चलते यूपी में वक्फ को लेकर कोई आंदोलन शुरू करने के पक्ष में नहीं हैं। यूपी में वक्फ के प्रति बोर्ड कितना गंभीर है, यह इस निमंत्रण से देखा जा सकता है।

उम्मीद है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इंडोर मीटिंग, लखनऊ, 3 अगस्त 2025 किस रूप रेखा को तैयार करेगी।उत्तर प्रदेश में वक्फ के सुरक्षा के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ऑन से जुड़ी हुई मिली तंजीम को साथ लेकर काम करना बड़ी चुनौती है।

 इस मीटिंग में ऑल इंडिया पर्सनल ला बोर्ड के बड़े नेतृत्व जैसे महमूद मदनी , असदुद्दीन ओवैसी,मौलाना खालिद सैफुल्लाह एवं खालिद रशीदी फिरंगी जैसे लोग शामिल नहीं होने की खबर है।

गौर तलब है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड वक्फ बचाओ आंदोलन में हर मोर्चे पर विफल हो चुकी है । साथ ही साथ जनता ने भी ना उम्मीद हो चुकी है।

ऐसे में कोर्ट के फैसले के इंतजार आवाम के पास  एक मात्र उम्मीद  है ।

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