देश की राजधानी दिल्ली में फिर मस्जिद और मदरसा शहीद।
सराय काले खां में 50 साल पुरानी फैजयाब मस्जिद पर DDA ने चलाया बुलडोजर, नेशनल वक्फ वेलफेयर के अध्यक्ष जावेद अहमद ने जताया गुस्सा.

वक्फ वेलफेयर के अध्यक्ष जावेद अहमद मस्जिद स्थल पर मुतवली दीन मुहम्मद के साथ।
नई दिल्ली (वक्फ टुडे) देश की राजधानी दिल्ली में तरह-तरह के हथकंडों और बहानों से मस्जिदों को शहीद करने का सिलसिला अभी भी जारी है। आज डीडीए ने सराय काले खां हजरत निज़ामुद्दीन में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित एक मस्जिद और मदरसा फ़ैज़याब पर बुलडोज़र चला दिया। यह मस्जिद 1125 वर्ग गज में बनी थी और 50 साल से भी ज्यादा पुरानी थी. मस्जिद के संरक्षक दीन मुहम्मद ने वक्फ टुडे को बताया कि उन्होंने विध्वंस के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन उचित कानूनी कार्यवाही के अभाव में उच्च न्यायालय ने मस्जिद के लिए वैकल्पिक भूमि उपलब्ध कराने का आदेश दिया। और मस्जिद, को शहीद करने की अनुमति दे दी। उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि इस मस्जिद का निर्माण उनके दादा मरहुम ने 1972 में अपनी पूश्तौनी जमीन पर किया था और फिर इसे वक्फ बोर्ड में पंजीकृत कराया, लेकिन उन्हें कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उन्हें यह भी नहीं पता कि मस्जिद के लिए उन्हें वैकल्पिक जगह कहां दी जाएगी। दीन मुहम्मद ने आगे कहा कि डीडीए हाई कोर्ट में यह बताने में नाकाम रहा है कि उसे यह जमीन किस मकसद से चाहिए. उन्होंने कहा कि मस्जिद एक बड़ी जमीन पर और एक प्रमुख स्थान पर स्थित थी, जिसकी वर्तमान कीमत 15 से 20 करोड़ रुपये है। इस मस्जिद में बड़ी संख्या में नमाजियों के साथ-साथ तबलीगी जमात के लोग भी रुकते थे. उन्होंने हाई कोर्ट में कई बार डीडीए से पूछा कि मस्जिद की जगह क्यों ओर किस मकसद से चाहिए और इसका उद्देश्य क्या है? हालांकि, डीडीए ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उन्होंने इसे पूरी तरह अनुचित बताया । इस बीच वक्फ वेलफेयर फॉर्म के अध्यक्ष जावेद अहमद ने फैजयाब मस्जिद और मदरसा की शहादत पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि यह सब वक्फ बोर्ड , मस्जिद कमेटी और तथाकथित धार्मिक कमेटी की मिलीभगत से किया जा रहा है। और धीरे-धीरे महत्वपूर्ण जगह से मस्जिदों के नाम-निशान मिटाए जा रहे हैं। जावेद अहमद ने कहा कि डीडीए और अन्य संस्थाओं की बुरी नजर है। इन मस्जिदों की सूची काफी लंबी है। पहले अधिकारियों ने दिल्ली की कई सदियों पुरानी मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों को रातोंरात खंडहर में बदल दिया, लेकिन अब वैध दस्तावेजों वाली मस्जिदों को भी नहीं बख्शा जा रहा है।
अभिभावकों की देखरेख में जावेद अहमद ने इस बात पर जोर दिया कि मुसलमानों को इस संबंध में अपनी नींद से जागना होगा अन्यथा राष्ट्रीय राजधानी में महत्वपूर्ण स्थानों पर स्थित एक भी मस्जिद सुरक्षित नहीं रहेगी. ये मस्जिदें किसी न किसी बहाने शहीद होती रहेंगी। उन्होंने बताया कि खबर मिलने के बाद जब वह सुबह-सुबह सराय काले खां पहुंचे तो उन्हें मस्जिद और मदरसे का नामोनिशान नहीं मिला. यहां तक कि मलबा को उठाकर फेंक दिया गया. इस मामले में वादी शमशाद, इरशाद अली और महताब का कहना है कि कल शाम डीडीए अधिकारियों ने मस्जिद के नाम पर 1125 वर्ग गज जमीन का आवंटन पत्र तो दे दिया, लेकिन जगह कहां होगी, इसका कोई जिक्र नहीं है. इसके अलावा मस्जिद और मदरसा भवन के निर्माण पर आने वाला खर्च कैसे पूरा किया जाएगा? देखने वाली बात होगी।