अगर आपने:
कपड़े का बस्ता इस्तेमाल किया है,
लकड़ी के लट्टू को डोर से घुमाया है,
कंचे खेले हैं,
साइकिल के टायर को डंडे से गलियों में घुमाया है,
शब-ए-बरात पर मसाले लगी “चचड़” को सीमेंट की दीवार पर रगड़ा है,
दो पैसे का सिक्का देखा है,
टीचर से स्लेट और सलेट पर सवाल हल किए हैं,
गणित के सवाल हल किए हैं,
पठु-गरम खेला है,
स्कूल की आधी छुट्टी का आनंद लिया है,
तख्ती को गाच से चिकना किया है,
घर से मक्के की बालियां निकालकर भुनी हैं,
स्कूल की छुट्टियों में बैल चराए हैं,
गुल्लक में पैसे जमा किए हैं,
शाम चार बजे उठकर किताबें और कहानियां पढ़ी हैं,
मेला में कबड्डी और बैलों की दौड़ देखी है,
ग्रामोफोन और रिकॉर्ड सुने हैं,
अपने रेडियो को लकड़ी के बॉक्स में ताला लगाया है,
मेले में तीन दिन तक साइकिल चलती देखी है,
सिर्फ ईद पर मेले की सर्कस और झूला झूला है,
बारात में पैसे लुटाए हैं,
किसी दुश्मन की दीवार पर कोयले से गुस्सा निकाला है,
पानी के टब में मोमबत्ती वाली नाव चलाई है,
सरकारी अस्पताल से अपनी बोतल में खांसी की दवाई भरवाई है,
सर्दियों में रजाई में घुसकर परियों की कहानियां सुनी हैं,
कटे सिर वाले इंसान की अफवाहें सुनी हैं,
खड़खड़ाते रेडियो पर बाढ़ की ताजा खबर सुनी है,
रस्सी लपेटकर लट्टू घुमाया है,
रेडियो पर सैमुअल को हॉकी के मैदान में जीतते हुए कमेंट्री सुनी है,
घर की मिट्टी वाली छत पर चारपाई डालकर सोए हैं,
गर्मी में छत पर पानी का छिड़काव किया है,
जून-जुलाई की तपती दोपहर में गिल्ली-डंडा खेला है,
फूलों वाली कढ़ाई से सजाए तकिए पर सुनहरे सपने देखे हैं,
घर के किसी कोने में ‘स्वागत है’ लिखा हुआ है,
रेडियो पर कवर चढ़ाया है,
लालटेन में मिट्टी का तेल डाला है,
लूडो खेलते हुए तीन बार छह आया है,
ढीली तीली वाली माचिस का इस्तेमाल किया है,
तख्ती के लिए बाजार से कलम खरीदी है और उसकी नोक ब्लेड से काटी है,
सुंदर लेखन के लिए मार्कर की निब काटी है,
होल्डर इस्तेमाल किया है,
ज़ेड और जी की निब खरीदी है,
फ्लॉरी अंग्रेजी लिखी है,
घी की खाली डिब्बी और रस्सी से कुएं से बाल्टी भरी है,
जुएं मारने के लिए कड़वा तेल लगाया है,
हीरो बनने के लिए काजल लगाया है,
गुलेल से निशाना साधा है,
पक्षियों के घोंसलों की तलाशी ली है,
टच बटन वाली शर्ट पहनी है,
अपने घर के बेर के पेड़ पर चढ़कर बेर तोड़े हैं,
आग जलाकर मक्के की बालियां भूनी हैं,
बाल्टी में आम ठंडे करके खाए हैं,
रफ कॉपी इस्तेमाल की है,
खुले लाइनों वाली कॉपी खरीदी और उस पर अखबार चढ़ाया है,
गूंथे हुए आटे से चिड़िया बनाई है,
घड़ी के सपने देखे हैं,
‘बिल्ली’ वाली अगरबत्ती खरीदी है,
मरुंडे का स्वाद चखा है,
साइकिल की कैंची चलाई है,
पिता जी की टांगें दबाई हैं,
सर्दियों में माँ के हाथ का बना स्वेटर पहना है,
परीक्षा की रातों में ‘गेस पेपर’ का इस्तेमाल किया है,
क्वैद-ए-आज़म के 14 सूत्र छत पर टहलते हुए याद किए हैं,
‘चलूसक-मलूसक’, ‘अमरो अय्यार’, ‘काला गुलाब’ और ‘अंबर नाग मारिया’ की कहानियां पढ़ी हैं,
फरहाद अली तैमूर से प्रेरित होकर मोमबत्ती को घूरकर टेलीपैथी हासिल करने की कोशिश की है,
कागज पर कील और लोहे के बुरादे रखकर नीचे चुंबक घुमाया है,
मुहल्ले के लड़कों के साथ मिलकर पतंग लूटी है,
सुबह-सुबह लस्सी और मक्के की रोटी मक्खन के साथ खाई है,
बरफी का सबसे बड़ा टुकड़ा उठाया है,
लॉटरी में कंघी निकली है,
रात को आसमान में तारे गिने हैं,
साइकिल पर नई घंटी लगाई है,
जुकाम में आस्तीन से नाक पोंछी है,
भौंरों को धागा बांधकर उड़ाया है,
मधुमक्खियों के छत्ते पर पत्थर मारा है,
संतरे के छिलकों से दोस्तों की आंखों पर हमला किया है,
और सुबह-सुबह लस्सी मथने की आवाज सुनी है,
तो इसका मतलब है कि अब आप बूढ़े हो रहे हैं।
क्योंकि ये सारी चीजें उस समय की हैं जब जीवन में एक अलग तरह की शांति थी। लोग हंसने और रोने की असली खुशी जानते थे। लड़ाइयाँ कभी जंग में नहीं बदलती थीं। रिश्ते और संबंध झूठी इज्जत से ज्यादा मजबूत थे। तब कोई गरीब नहीं था क्योंकि सभी गरीब थे। मुझे गर्व है कि मेरा संबंध उस दौर से है जब न किसी के पास मोबाइल था और न ही कोई अपनी लोकेशन शेयर कर सकता था, लेकिन फिर भी सब जुड़े रहते थे और सभी को पता होता था कि कौन कहां है, क्योंकि सभी का नेटवर्क एक ही था।