
उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने नगरीय स्थानीय निकायों (ULBs) की दक्षता और कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए निकायों के म्युनिसिपल कैडर में एक व्यापक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक निर्णय राज्य के तेजी से बदलते शहरी परिदृश्य और शहरी विकास विभाग की बढ़ती जिम्मेदारियों एवं चुनौतियों को देखते हुए लिया गया है।
उत्तर प्रदेश में शहरी विकास तेजी से बढ़ रहा है, और 2051 तक राज्य की शहरी जनसंख्या 50% से अधिक होने का अनुमान है। 2011 में जहां शहरी निकायों की संख्या 650 थी, वहीं 2024 में यह बढ़कर 762 हो गई है। इस शहरीकरण के साथ नगर विकास विभाग के विकास परियोजनाओं एवं योजनाओं की जटिलता भी अधिक बढ़ गई है, जिसके लिए एक सुदृढ़ और विशेषज्ञ प्रशासनिक ढांचे की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। विगत लगभग 50 वर्षों के पश्चात् म्युनिसिपल कैडर के पुनःगठन की कार्यवाही की गयी हैं।
नगर विकास विभाग अब पारंपरिक नगरीय निकायों के कार्यों से कहीं आगे की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं और योजनाओं का संचालन कर रहा है, जिसमें स्मार्ट सिटी, अमृत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) सहित अन्य राज्य और केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन शामिल है। विभाग का दायित्व शहरी बुनियादी ढांचे को विकसित करने, हरित क्षेत्रों को बढ़ावा देने, उन्नत कचरा प्रबंधन प्रणाली को लागू करने और शहरी आबादी के लिए जल आपूर्ति एवं स्वच्छता जैसी आवश्यक सेवाओं को सुनिश्चित करने तक विस्तारित हुआ है।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री अमृत अभिजात ने इस पुनर्गठन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश का शहरी परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, और इसके साथ ही शासन की चुनौतियां और जिम्मेदारियां भी कई गुना बढ़ गई हैं। हमारा मौजूदा कैडर ढांचा उस वक़्त की आवश्यकता के अनुरूप तैयार किया गया था और यह आज की आधुनिक शहरी विकास की जटिल मांगों को पूरा करने में सक्षम नहीं है। यह व्यापक पुनर्गठन न केवल एक प्रशासनिक परिवर्तन है, बल्कि एक रणनीतिक कदम है जो हमारे शहरी निकायों को आधुनिक शहरी विकास के लिए आवश्यक विशेषीकृत कौशल और जनशक्ति से सुसज्जित करेगा।”
बेहतर प्रशासन के लिए नगर निगमों और नगर पालिकाओं को जनसंख्या के आधार पर 3 श्रेणीयों में विभाजित किया गया हैं |
इस पुनर्गठन में निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य किये जा रहे हैं जो समस्याओं का प्रभावी समाधान करेंगे और नगरीय प्रशासन में सुगमता आएगी
1. मानव संसाधनों की कमी: नए ढांचे में विभिन्न कैडरों में विशेषज्ञों के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है। उदाहरण के लिए, सिविल इंजीनियरिंग कैडर में पदों की संख्या 418 से बढ़ाकर 1,517 कर दी गई है, जिससे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की बेहतर योजना और क्रियान्वयन संभव हो सकेगा।
2. पेशेवर विशेषज्ञता की कमी: नए कैडर जैसे पर्यावरण सेवा और नियोजन सेवा की शुरुआत की गई है, और शहरी नियोजन, उद्यानिकी, और पशु कल्याण जैसे मौजूदा विशेष कैडरों को भी सुदृढ़ किया गया है। इससे शहरी प्रशासन में आवश्यक पेशेवर विशेषज्ञता आएगी।
3. पारदर्शिता और प्रौद्योगिकी का उपयोग: पुनर्गठन में शहरी प्रशासन में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर दिया गया है। आईटी बुनियादी ढांचा, डेटा प्रबंधन, और ई-गवर्नेंस जैसे नवाचारों के लिए नए पद सृजित किए गए हैं।
4. सामुदायिक सहभागिता: नए ढांचे में नागरिक सेवाओं और सामुदायिक जुड़ाव के लिए बेहतर प्रावधान किए गए हैं, जो विभाग की एक समावेशी शहरी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
कैडर पुनर्गठन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
– विभिन्न कैडरों में कुल 6,686 नए पदों का सृजन, जो वर्तमान में 3,085 स्वीकृत पदों से पर्याप्त संख्या से अधिक हैं।
– प्रमुख कैडरों का सुदृढ़ीकरण: प्रशासनिक कैडर (666 से बढ़ाकर 912 पद), राजस्व कैडर (766 से बढ़ाकर 1,345 पद), और स्वच्छता कैडर (523 से बढ़ाकर 1,299 पद)।
– नए कैडरों की शुरुआत: पर्यावरण (163 पद) और नगर नियोजन (97 पद)।
– नगर पंचायतों में राजस्व, लेखा, इंजीनियरिंग और स्वच्छता कैडरों की क्षमता में वृद्धि।
– विशेषज्ञों और तकनीकी सहायता के लिए आउटसोर्सिंग का प्रावधान, जिससे विशेष जरूरतों को लचीले ढंग से पूरा किया जा सके।
पुनर्गठन से अपेक्षित लाभ:
1. शहरी विकास परियोजनाओं और योजनाओं की अधिक प्रभावी नियोजन और क्रियान्वयन।
2. सेवा स्तर में सुधार और सेवा स्तर के बेंचमार्क की प्राप्ति।
3. राजस्व संग्रह में वृद्धि और बेहतर वित्तीय प्रबंधन।
4. प्रौद्योगिकी और आधुनिक शहरी प्रबंधन पद्धतियों को त्वरित गति से उपयोग।
5. शहरी शासन के विभिन्न पहलुओं, जैसे योजना से क्रियान्वयन तक, में बेहतर समन्वय।
श्री अभिजात ने आगे कहा, “यह पुनर्गठन उत्तर प्रदेश के शहरी विकास के लिए एक गेम-चेंजर है। इससे हमें अधिक स्मार्ट, टिकाऊ और उच्च गुणवत्ता के साथ रहने योग्य शहरों का निर्माण करने में मदद मिलेगी। अपनी प्रशासनिक क्षमता को मजबूत करके, हम ऐसे शहरी क्षेत्रों की नींव रख रहे हैं जो न केवल हमारे नागरिकों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करेंगे बल्कि शहरी जीवन के वैश्विक मानकों की भी आकांक्षाओं की पूर्ति करेंगे।”
नगर विकास विभाग इस पुनर्गठन को शीघ्र और प्रभावी रूप से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। नए कर्मचारियों की भर्ती, प्रशिक्षण, और तैनाती के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जा रही है, जिससे नए कैडर ढांचे में सुचारू रूप से संक्रमण सुनिश्चित हो सके।
उत्तर प्रदेश सरकार का यह साहसिक कदम राज्य के शहरी भविष्य में एक महत्वपूर्ण निवेश है, जिससे राज्य में कुशल, पारदर्शी और नागरिक केंद्रित शहरी प्रशासन के नए युग का प्रारंभ होगा |