
लखनऊ : वक्फ टूडे । जामा मस्जिद के करीब बन रही पुलिस चौकी की संपत्ति पर विवाद उठने के बाद प्रशासन ने शहर की सभी वक्फ संपत्तियों की जांच करने का निर्णय लिया है। इस बीच कागजों की पड़ताल के बाद चौकी की जमीन नगर पालिका की बताई गई है।
कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान शहर में हुई हिंसा के बाद से सख्ती जारी है। इसके तहत ही जामा मस्जिद के पास पुलिस चौकी बनाई जा रही है। चौकी का नाम सत्यव्रत रखा है। कुछ लोगों ने पुलिस चौकी का निर्माण होने वाली भूमि को वक्फ संपत्ति बताते हुए दावा किया था। इसके बाद दस्तावेजों की जांच की गई थी। जांच में लोगों की ओर से पेश किए गए सभी दस्तावेज वैध नहीं मिले थे। इसके बाद यह सामने आया है कि शहर में कई वक्फ संपत्तियां खुर्दबुर्द की गई हैं।
डीएम ने बताया कि वक्फ की दो तरह की जमीनें होती हैं। पहली वक्फ अल औलाद और दूसरी वक्फ अलल खैर। दोनों ही तरह की जमीन में कुछ शर्ते होती हैं,
वक्फ संपत्तियों के खुर्दबुर्द होने की जानकारी मिली है। जांच कराई जाएगी। यदि वक्फ संपत्तियां खुर्दबुर्द पाई गई तो कार्रवाई भी होगी। जो दस्तावेज अभी तक सामने आए हैं। उनकी भी जांच की जाएगी। इसके लिए दो सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। – डॉ. राजेंद्र पैसिया, डीएम, संभल
लेकिन इनको बेचा नहीं जा सकता है। उन्होंने बताया कि जानकारी मिली है कि कई वक्फ संपत्तियों को खुर्दबुर्द किया गया है। इसकी जांच के लिए टीम बनाई जाएगी, जांच के बाद हकीकत सामने आएगी।
उधर, संभल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप कुमार गुप्ता का कहना है कि वक्फ की संपत्तियों को बेचने का खेल मिलीभगत से होता है। शहर में कई संपत्तियां हैं, जो खुर्दबुर्द की गई हैं। इसमें जिम्मेदारों की भी मिलीभगत होती है। शहर में वक्फ संपत्तियों की जांच की जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी।
वक्फ वेलफेयर फोरम की मुरादाबाद मंडल ने इस मामले पर जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश सेंट्रल वक्फ बोर्ड की भूमिका भी वक्फ संपत्तियों की खुर्द बुरद की अहम भूमिका सामने आएगी।
सैकड़ो एकड़ वक्फ संपत्तियो फसलों 1359 (1951) मैं दर्ज है। बावजूद इसके प्रशासन की लापरवाही से प्राइवेट कब्जदारों ने अपनी मिल्कियत बना ली।