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वक्फ विधेयक संशोधित प्रस्ताव-2024 द्वारा प्रस्तावित मुख्य 14 संशोधन और उसके प्रभाव।




वक्फ संशोधन विधायक 2024 के लागू होने पर वक्फ संपत्तियों पर  होने वाले नुकसानात:

1. वक्फ अधिनियम की धारा-3 (r) (i) विलोपन इस विलोपन से वैसे सभी वक्फ जो उपयोग के आधार पर वक्फ माने जाते थे वह वक्फ नहीं रह पायेगें उदहारण स्वरूप को कई राज्यो में सीधे लगभग 1,32,140 उत्तर प्रदेश  नोटिफिकेशन गैजेट  1987 में वक्फ  बोर्ड में इंद्राज है लेकिन इस संशोधन से  मात्र 2825 वक्फ संपत्तियां ही मान्य होगी।  बिहार में सरकार द्वारा लगभग 8500 चाहरदीवारी का निर्माण किया गया जबकि वक्फ बोर्ड में  लगभग 870 कब्रिस्तान ही निबंधित हैं। इसी तरह दिल्ली में 123 वक्फ समितियों  इस संशोधन से सभी इबादतगाहों , कब्रिस्तान विवादित कब्रिस्तान में परिणत हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने जिलाधिकारी को आवेदन दिया तो उसे सरकारी भूमि मानते हुए इसका उपयोग अन्यत्र कार्य में किया जा सकता है जिससे सामाजिक माहौल खराब हो सकता है। इसी प्रकार हजारों से अधिक मस्जिदों की संख्या आकलित है, जबकि केवल 10% मस्जिद वक्फ बोर्ड में निबंधित है। इसी प्रकार से ईदगाह, मजार, इमामबाड़ा, मुसाफिरखाना, खानकाह, यतीमखाना इत्यादि भी सीमित संख्या में वक्फ बोर्ड में निबंधित है जबकि इससे बहुत ज्यादा संख्या संपूर्ण बिहार में है। उक्त विधेयक के कारण ये सारी धार्मिक उत्तर प्रदेश, हरियाणा , दिल्ली , बिहार और  इत्यादि  विवाद की श्रेणी में आ सकते हैं जिसके कारण सामाजिक सद्भाव बिगड़ सकता है।

2. विधेयक में 3 (c) का नया प्रावधान इसके अधीन यह प्रावधान किया गया है कि कोईभी सरकारी सम्पत्ति अधिनियम लागू होने के पहले या लागू होने के बाद वक्फ सम्पत्ति मानी गयी है तो वह वक्फ सम्पत्ति संशोधित अधिनियम के बाद नहीं रहेगी और यदि कोई विवाद उठता है तो जिलाधिकारी को अंतिम अधिकार दिया गया है कि वह यह निर्धारित कर सके कि उक्त सम्पत्ति सरकारी सम्पत्ति है अथवा नहीं। इस संशोधन में अधिनियम के पूर्व की समय-सीमा नहीं दी गयी है जिससे आजादी के पूर्व भी सैकड़ों सालो से वक्फ सम्पत्ति जो सरकारी सम्पत्ति थी और उसे वक्फ के उपयोग के लिए दिया गया था, ये सभी विवादित हो जायेंगे और जिलाधिकारी के आदेश से इन सभी सम्पत्तियों का वक्फ के विभिन्न कार्यों के लिए वर्त्तमान में किये जा रहे उपयोग पर रोक लगाई जा सकती है। जाएगी, इससे सामाजिक सद्भाव बिगड़ने की आशंका है। अधिनियम के लागू होने के बाद यदि सरकारी सम्पत्ति की जाँच की जाती है तो उस पर कोई आपत्ति नहीं।

3. प्रस्तावित विधेयक की धारा 3 (A) (1) में संशोधन इससे वक्फ करने का अधिकार समाप्त कर दिया गया है अर्थात् किसी व्यक्ति में पूर्व में अपनी सम्पत्ति वक्फ की है और वक्फनामा उपलब्ध है तब भी वह सम्पत्ति वक्फ के रूप में निबंधित नहीं की जा सकती है, यदि इस पर उस व्यक्ति के किसी वंशज अपनी आपत्ति दर्ज कर दी है। यह भी संशोधन प्रस्तावित है कि वक्फ सम्पत्ति के लाभ की प्राप्ति करने का निर्णय लेने का अधिकार उस वक्फ करने वाले व्यक्ति के संतान या उसके संतानों को होगा न कि वक्फ करने वाले के द्वारा वक्फनामा में दिये गये सूची के अनुसार। जिससे वक्फ करने के अधिकार का हनन होगा।

4. प्रस्तावित संशोधन 3 (c) (2)- इसके अधीन यह प्रस्तावित यदि किसी भी वक्फ सरकारी  सम्पत्ति होने के संबंध में कोई भी आवेदन प्राप्त होने पर उसकी जाँच जिलाधिकारी करेंगे जब तक जाँच पूर्ण नहीं हो जाती है और प्रतिवेदन नहीं समर्पित किया जाता है वह सम्पत्ति वक्फ के रूप में उपयोग नहीं की जा सकती है और इसकी कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है। इससे वक्फ (मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान आदि) सम्पत्तियों पर विवाद बढ़ेगा और प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

संशोधन का अन्य प्रभाव

5. वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के अनुसार, सरकारी भूमि पर निर्मित कब्रिस्तान या मुस्लिम धार्मिक स्थल अवस्थित है और यह भूमि वक्फ बोर्ड में पूर्व से निबंधित हो, का स्वतः वक्फ निबंधन समाप्त करने का प्रावधान है, फलस्वरूप सभी कब्रिस्तान एवं मुस्लिम धार्मिक स्थल जो कई सौ साल से उक्त कार्य हेतु उपयोग किया जा रहा था उसका का अस्तित्व वक्फ रूप में समाप्त हो जायेगा जो सार्वजनिक हित में मुसलमानों के लिए उचित नहीं होगा।

6. धार्मिक, पवित्र एवं चैरिटेबल उद्देश्य हेतु मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व एवं पश्चात भी मौखिक एवं दस्तावेज़ के माध्यम से वक्फ किया गया है एवं किया जाता भी है, जिसका उद्देश्य केवल गरीब, मुसाफिर, यतीम, विधवा एवं समाज के गरीब लोगों की मदद एवं उनकी देखभाल किया जाना है। उक्त हेतु दान की गई सम्पत्ति के सम्बंध में वक्फ बोर्ड के अतिरिक्त किसी अन्य के द्वारा निर्णय लिया जाना न्यायोचित नहीं है, इससे समाज में भ्रांतियाँ फैलने की आशंका है।

7. राज्य के अन्य न्यायाधीकरणों के समान वक्फ न्यायाधीकरण को दी गई शक्ति प्रभावित हो रही है। वक्फ न्यायाधीकरण का गठन वक्फ अधिनियम के अनुसार होता है एवं उक्त न्यायाधीकरण में माननीय न्यायाधीश का पदस्थापन माननीय उच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।

8. वक्फ अधिनियम का मूल सिद्वांत भी अन्य धार्मिक संस्थाओं (हिन्दु, सिख एवं जैन) के समान होना चाहिए। इसमे भेदभाव किया जाना संविधान के आर्टिकल के विरूद्ध है एवं विधेयक संविधान के आर्टिकल-14 एवं 15 समानता का अधिकार का हनन कर रहा है।

9. धारा-36 के अन्तर्गत वक्फ सम्पत्ति का पंजीकरण के सरल प्रावधान को जटिल किया गया है। साथ ही पूर्व से जो वक्फ सम्पत्ति बोर्ड में निबंधित नहीं है, के अधिकारों से संबंधित वाद, अपील या कानूनी प्रक्रिया वक्फ संशोधित ऐक्ट के छः महीने के उपरांत नहीं अपनाई जा सकती है। जो वक्फ के परिभाषा के विरूद्ध है। जिससे पूर्व के वक्फ सम्पत्तियों को हानि पहुँच सकती है।

10. धारा-40 में सम्पत्ति को वक्फ सम्पत्ति होने के सम्बंध में निर्णय लेने का अधिकार जो बोर्ड को प्राप्त था, उसको समाप्त कर दिया गया है तथा इस धारा को पूर्णतः विलोपित कर दिया गया है और इसका अधिकार जिला समाहर्ता को दे दिया गया है। इस तरह एक राज्य स्तरीय स्वयत्त संस्था को शक्तिहीन स्वयत्तहीन बना दिया गया है।

11. वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के अनुसार, वक्फ अधिनियम 1995 में दिये गये वक्फ बोर्ड के अधिकार को सीमित कर लगभग समाप्त कर दिया गया है।

12. नये संशोधित बिल में धारा-104 (वक्फ अधिनियम-1995) को विलोपित कर दिया गया है। जिससे गैर मुस्लिम वक्फ नहीं कर सकते हैं और वक्फ करने का अधिकार केवल मुस्लिम को दिया गया है और इसके लिए नई शर्तें लागू करने का प्रावधान है। यह संविधान के अनुच्छेद-14 एवं 15 के प्रतिकूल है।

13. धारा-107, 108 एवं 108ए को हटा दिया गया है, जिसमें विशेष रूप से अधिनियमों का प्रावधान था, जिससे वक्फ सम्पत्ति से संबंधित हितों वाले वाद में limitation की बाध्यता नहीं थी, परन्तु धारा 107 के विलोपन से वक्फ से संबंधित हितों वाले वाद में Limitation Act वक्फ की सम्पत्तियों पर भी लागू हो जाएगा साथ ही धारा 108 एवं 108ए के विलोपन से वक्फ कानून की शक्ति क्षीण हो जाएगी।

14. वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के अनुसार, वक्फ बोर्ड के गठन में दो गैर मुस्लिम (Non Muslim) को सदस्य बनाने का प्रावधान किया गया है। जो संविधान के आर्टिकल-14, 16, 25 एवं 30 के साथ-साथ बिहार हिन्दु धार्मिक ट्रस्ट 1950 की धारा-08 के तहत निर्धारित सिद्धांत के विरूद्ध है। जबकि अन्य धार्मिक संस्थानों में यह प्रावधान है कि जो उक्त धर्म का मानना वाला वही उक्त संस्था के प्रबंध का कार्य करेगा।

विस्तृत जानकारी के लिए वक्फ टुडे एडिटोरियल ग्रुप से संपर्क करें।

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